Hooda again strengthened in his stronghold, loss of election results is alarm bell for BJP

अपने गढ़ में फिर से मजबूत हुए हुड्डा, लोस चुनाव परिणाम भाजपा के लिए खतरे की घंटी

Hooda again strengthened in his stronghold, loss of election results is alarm bell for BJP

Hooda again strengthened in his stronghold, loss of election results is alarm bell for BJP

Hooda again strengthened in his stronghold, loss of election results is alarm bell for BJP- चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद प्रदेश में सियासी समीकरणों में बदलाव होगा। राज्य में तीन माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में लोस जीत अहम मानी जा रही है। भाजपा चुनावी प्रदर्शन में भीतरघातियों को सबक सिखाने के लिए कड़ा कदम उठाएगी तो जीत से उत्साहित कांग्रेस विस चुनावों की रणनीति तैयार करेगी। हालांकि कांग्रेस में भी अंदरुनी घमासान बढ़ने के आसार हैं, क्योंकि हुड्‌डा गुट विस चुनाव के लिए फ्री हैंड देने की मांग करेगा।

2024 का लोकसभा रण पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के संजीवनीदायक साबित हुआ है। हुड्‌डा ने जहां अपने सोनीपत व रोहतक गढ़ को बचाया है, वहीं भाजपा ने दोनों जगह 2019 की हार का बदला भी चुकता किया है। 2019 में हार के कारण उनकी अपने ही गढ़ में पकड़ कमजोर मानी जा रही थी, लेकिन परिणामों के बाद स्पष्ट हो गया है कि उनके केवल अपने गढ़ में, बल्कि हाईकमान में भी पकड़ मजबूत हुई है।

रोहतक लोकसभा से भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के बेटे दीपेंद्र हुड्‌डा तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी अरविंद शर्मा को तीन लाख वोटों से करारी शिकस्त दी है। सोनीपत लोकसभा से हुड्‌डा ने अपने पंसदीदा उम्मीदवार सतपाल ब्रह्मचारी को उतारा। सतपाल ब्रह्मचारी ने पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी मोहन लाल बड़ौली को हराया है। दोनों सीटों पर जीत से स्पष्ट हो गया है कि रोहतक और सोनीपत में हुड्‌डा की पकड़ मजबूत है, जोकि आगामी विधानसभा चुनावों में जीत का आधार बनेगी।

2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि एक सीट पर इंडिया गठबंधन का प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा है। कुरुक्षेत्र गठबंधन वाली सीट सहित सभी 10 लोकसभाओं में कांग्रेस ने भाजपा को सीधी टक्कर दी। हालांकि हुड्डा ने प्रदेश की नौ सीटों में से आठ सीटों पर अपनी पसंद के प्रत्याशियों को उतारा था। जिसमें से चार जीतकर लोकसभा में पहुंच गए हैं। कांग्रेस जहां इस चुनाव परिणाम को विधानसभा के लिए भुनाएगी वहीं हुड्डा गुट अब हाईकमान पर विधानसभा चुनाव के लिए फ्री हैंड देने के लिए दबाव बनाएगा। भाजपा ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी दस सीटों पर जीत हासिल की थी।

इस बार भी दस सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा गया था लेकिन पांच सीटों पर भाजपा को जीत मिली है जबकि पांच सीटों पर भाजपा प्रत्याशी नंबर दो पर आए हैं। भाजपा की इस हार के पीछे राजनीतिक विशेषज्ञ कई कारण मानते हैं। भाजपा को चुनाव के मौके पर सीएम को बदलने का ज्यादा लाभ नहीं मिला है। भाजपा के मुख्यमंत्री बदलते ही चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। जिसके चलते नए मुख्यमंत्री को फील्ड में उतरने का मौका नहीं मिला। दूसरा नए मुख्यमंत्री के पास पुराने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हुए कार्यों की तथ्यात्मक जानकारियां नहीं थी। जिसके चलते कांग्रेस ने घेराबंदी को मजबूत किया।

2024 के चुनावी रण में इनेलो और जजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। इनेलो को सभी 6 सीटों पर हार का सामना करना है। लोस हार के बाद इनेलो पर चुनाव चिन्ह छीनने का खतरा मंडरा गया है। वहीं जजपा का दूसरा लोकसभा चुनाव में भी खाता नहीं खुल पाया है। ऐसे में जजपा को नए सिरे से रणनीति तैयार करनी होगी। वहीं दोनों दलों पर एक होने का दवाब भी बढ़ गया है, क्योंकि इनेलो पिछले 20 सालों से सत्ता से बाहर है तो जजपा का भी प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा है। ऐसे में दोनों दलों क्षेत्रीय दल के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ठोस रणनीति तैयार करनी होगी।